इश्क़ का ये कैसा मौसम हैं ना धूप हैं ना ही कहिं छाव,, रास्ते ये तन्हाइयों से भरे हैं ना साथ हैं किसी का, ना सहारा कोई जो एक है, हमसफ़र वो भी Kambhakt मंज़िल तक चलने को तैयार नहीं,, Dedicating a #testimonial to Neha kaniya