हाल पूछो मेरा तुम, उन पत्थर की मीनारों से, रिसते हुए दीवारों से, ख़ून सने अरमानों से। जाने हँसना कब होगा, जाने जीना कब होगा, जाने कब आओगे मिलने, कब गले मिलना होगा। जीवन ऐसे बीत रहा है, जैसे दलदल में इक हिरण, पल-पल ऐसे कट रहा है, जैसे हृदय में हो कोई चुभन। कोई किनारा ढूँढ रहा है, माझी फँसा हुआ भंवर में, फिर भी मानो डूब रहा है, गहरे अँधे एक कुएँ में। कुछ अधूरी पंक्तियाँ है दिल के किसी कोने में दबे कुछ एहसासों का, जिनका असल माहौल से कोई ताअल्लुक़ नहीं है। ~ इकराश़ #YqBaba #YqBaba #ikraashnaama