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ऐ सावन तू तो आ गया मैं अब भी पतझड़ सा हूं झोपड़ी

ऐ  सावन तू तो आ गया
 मैं अब भी पतझड़ सा हूं
झोपड़ी बही बर्तन बह गए
खाली पेट ,ज़िंदा लाश सा
बर्बादी का दर्शक सा हूं
महल वाले खुश होंगें बहुत
मैं झोपड़ी वाला चिंतित सा हूं

कवि अकेला (मेरी कलम से) Meri Kalam SE
ऐ  सावन तू तो आ गया
 मैं अब भी पतझड़ सा हूं
झोपड़ी बही बर्तन बह गए
खाली पेट ,ज़िंदा लाश सा
बर्बादी का दर्शक सा हूं
महल वाले खुश होंगें बहुत
मैं झोपड़ी वाला चिंतित सा हूं

कवि अकेला (मेरी कलम से) Meri Kalam SE
kaviakela3741

KAVI AKELA

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