मेरे तुम्हारें कहने से यहाँ कुछ नहीं होगा। होगा वही जो है सही जो ईश्वर नें है चाहा। करले कोशिशें तमाम तू और चलाले मरज़ी। ना चलेगी उसके आगे तेरी कोई भी माया । कर्म हो सही हिस्से हर सुख और ढेरों खुशियाँ। देने से पीछे हटता नहीं, छाएं ना कभी निराशा। ग़र हो जाए कृपा उसकी सुखमय होता संसारी। उसके शरण रोगी रहता निरोग और कल्पकाया। बहुत ग़ज़ब का खिलाड़ी, चलती चमत्कारी। है ये ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_286 👉 ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया लोकोक्ति का अर्थ ---- ईश्वर की बातें विचित्र हैं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।