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आंसू- इस करुणा कलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती

आंसू- 

इस करुणा कलित हृदय में
अब विकल रागिनी बजती
क्यों हाहाकार स्वरों में
वेदना असीम गरजती?

मानस सागर के तट पर
क्यों लोल लहर की घातें
कल कल ध्वनि से हैं कहती
कुछ विस्मृत बीती बातें




महाकवि जयशंकर प्रसाद को उनकी जयंती पर शत शत नमन

©यतींद्र यति
  #जयशंकर प्रसाद 
#जयंती