पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है, गाना - वाना छोड़ दिया है। कुछ दिन से तो मैने यारों, हँसना - वसना छोड़ दिया है। सच मानो या मानो झूठा, कहना - सुनना छोड़ दिया है। कोई रूठे, रूठ जाए अब, मनना - मनाना छोड़ दिया है। मुझको पूछो तो बोलूंगा, जीना - वीना छोड़ दिया है। एक अरसे बाद चंद मिसरे अर्ज़ हुए हैं। ज़िंदगी से ताल्लुकात रखते हैं ये मिसरे। दिल से पढ़िएगा, दिल से लिखा है। ~ इकराश़ #शेर_ए_इकराश़ #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #इकराश़नामा #YqBaba #YqDidi