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पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है, गाना - वाना छोड़ दिया है

पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है,
गाना - वाना छोड़ दिया है।

कुछ दिन से तो मैने यारों,
हँसना - वसना छोड़ दिया है।

सच मानो या मानो झूठा,
कहना - सुनना छोड़ दिया है।

कोई रूठे, रूठ जाए अब,
मनना - मनाना छोड़ दिया है।

मुझको पूछो तो बोलूंगा,
जीना - वीना छोड़ दिया है। एक अरसे बाद चंद मिसरे अर्ज़ हुए हैं।
ज़िंदगी से ताल्लुकात रखते हैं ये मिसरे।
दिल से पढ़िएगा, दिल से लिखा है।

~ इकराश़ 

#शेर_ए_इकराश़ #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #इकराश़नामा #YqBaba #YqDidi
पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है,
गाना - वाना छोड़ दिया है।

कुछ दिन से तो मैने यारों,
हँसना - वसना छोड़ दिया है।

सच मानो या मानो झूठा,
कहना - सुनना छोड़ दिया है।

कोई रूठे, रूठ जाए अब,
मनना - मनाना छोड़ दिया है।

मुझको पूछो तो बोलूंगा,
जीना - वीना छोड़ दिया है। एक अरसे बाद चंद मिसरे अर्ज़ हुए हैं।
ज़िंदगी से ताल्लुकात रखते हैं ये मिसरे।
दिल से पढ़िएगा, दिल से लिखा है।

~ इकराश़ 

#शेर_ए_इकराश़ #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #इकराश़नामा #YqBaba #YqDidi