क्या स्त्री वास्तव में अपरिभाषित अपराजित अक्षम्य अकल्पनीय है, ये पर्याप्त है चिंतन के लिए या कि फ़िर पूर्णसत्य कहूँ कि नही हूँ अपरिभाषित, अपराजित, अकल्पनीय अक्षम्य केवल ब्रह्मा की सृष्टि , किंकर्तव्यविमूढ़ अद्वैयता और साधारण हूँ किसी भी पुरुष की भाँति #strong woman