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#किसानों की धरना# बहा पसीना तन का वे.... खेती-बारी

#किसानों की धरना#
बहा पसीना तन का वे....
खेती-बारी की बातें करते हैं। 
जब खाने के दिन आए तो...
दिल्ली में रातें काटते हैं।।
सींच बालू के रेती को ये...
हीरे-मोती उपजाते हैं।
जब खाने के दिन आए तो...
ये पुलिस के डंडे खाते हैं।।
जो कभी किसानी की नहीं...
वहीं किसानों को समझाते हैं।
बेच किसानों को ये लोग...
निभा रहे अंबानी से नाते हैं।। 
सत्ता के दलालों सुनों...
किसानों का हक क्यों लूट जाते हो ?
ये चाय की चौकड़ी बंद करो...
क्या अन्न नहीं तुम खाते हो??
किसान ही प्रकृति के...
यहां जवान साधु हैं।
दाढ़ी बड़े कर लेने से नहीं...
कोई बन जाता साधु है!!
Tr Rajesh Kumar
M.S.AGIAON BAZAR
PIRO. BHOJPUR

©RajeshKumar
#किसानों की धरना#
बहा पसीना तन का वे....
खेती-बारी की बातें करते हैं। 
जब खाने के दिन आए तो...
दिल्ली में रातें काटते हैं।।
सींच बालू के रेती को ये...
हीरे-मोती उपजाते हैं।
जब खाने के दिन आए तो...
ये पुलिस के डंडे खाते हैं।।
जो कभी किसानी की नहीं...
वहीं किसानों को समझाते हैं।
बेच किसानों को ये लोग...
निभा रहे अंबानी से नाते हैं।। 
सत्ता के दलालों सुनों...
किसानों का हक क्यों लूट जाते हो ?
ये चाय की चौकड़ी बंद करो...
क्या अन्न नहीं तुम खाते हो??
किसान ही प्रकृति के...
यहां जवान साधु हैं।
दाढ़ी बड़े कर लेने से नहीं...
कोई बन जाता साधु है!!
Tr Rajesh Kumar
M.S.AGIAON BAZAR
PIRO. BHOJPUR

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