नफरत हैं आज भी उन लम्हों से, जिन लम्हों में हम छोडे़ तुम्हारा हाथ थे, तुम इससे बेखबर और अंजान थे, फ्रिक में भूले भूख और प्यास थे, शिकवे हैं शिकायतें हैं खुद के फैसलों से, जो समझ ना सके तुम्हारा हाल थे, कोई किसी से इस कदर जुड़ता हैं, हम तब बस इसे गलतफहमी मान बैठे थे, उम्मीद नहीं थी होगा फिर कभी सबकुछ ठीक, इस बात पर भी तुम हमें गलत साबित किये थे, अंधकार के बादल हटे, जिदंगी रोशन हुई चाँद से, और हम पश्चाताप में खुद को मिटा रहे थे एक शाम से, पर खुशक़िस्मती पर मन ही मन फूले नहीं समा रहे थे, पाकर तुम्हारा साथ हम हर गम से निजात पा रहे थे, मुस्कुराती जिंदगी में जो लगाये आग भूले जा रहे थे, तब यकीन हुआ हम तुम मिले उस रब के आशीर्वाद से। ©Priya Gour ✨✨✨ #जिंदगी #NojotoWriter #8July 2:33