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खुश रहना और संतोष से रहना!!कोई फर्क है!? बिल्कुल!ख

खुश रहना और संतोष से रहना!!कोई फर्क है!? बिल्कुल!खुश व्यक्ति तब भी होता है जब उसकी इच्छाएं पूर्ण होती है परंतु संतोष से व्यक्ति उस हाल में भी हो सकता है जब उसके पास दुनिया का आराम न भी हो।तो संतोष पूर्ण भाव है, उत्तम भाव है और संतोष से ही अंतिम सुख प्राप्त हो सकता है क्योंकि सन्तोषी व्यक्ति उस परम शक्ति से आसरा लेता है और उस शक्ति को समर्पित रहता है, जो कि इस सृष्टि को चलाने वाली है।
✍️✍️मुर्तज़ा
*शिक्षक दिवस की शुभकामना* #संतोष
खुश रहना और संतोष से रहना!!कोई फर्क है!? बिल्कुल!खुश व्यक्ति तब भी होता है जब उसकी इच्छाएं पूर्ण होती है परंतु संतोष से व्यक्ति उस हाल में भी हो सकता है जब उसके पास दुनिया का आराम न भी हो।तो संतोष पूर्ण भाव है, उत्तम भाव है और संतोष से ही अंतिम सुख प्राप्त हो सकता है क्योंकि सन्तोषी व्यक्ति उस परम शक्ति से आसरा लेता है और उस शक्ति को समर्पित रहता है, जो कि इस सृष्टि को चलाने वाली है।
✍️✍️मुर्तज़ा
*शिक्षक दिवस की शुभकामना* #संतोष