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जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भ

जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है...

(रविन्द्र नाथ टैगोर)

©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर
जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है...

(रविन्द्र नाथ टैगोर)

©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर

रबीन्द्रनाथ टैगोर