गलतफ़हमी से ख़तरनाक "विषाणु" मुझे तो "कोरोना" भी नहीं लगता ! जो मुस्कुराकर क़त्ल करते रहते हैं उनसे बड़ा कोई ज़ालिम नहीं लगता ! हुस्न वालों की खफ़गी तो इल्ज़ाम है जो न टूटे दिल तो इश्क़ नही लगता ! सब्र ओ शुक्र से बसर तो करलूं मैं ये कोई आशिक़ मिज़ाज नही लगता ! दो जाम हमको भी पिलाओ "पाठक" सुना है दो पैग लो,कोरोना नही लगता ! #शुभरात्रि #पंछी #पाठकपुराण #येरंगचाहतोंके #corona_virus से डरने की ज़रूरत से ज़्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है ।