ये पुराने ज़ख़्म, ताज़े लगते ये खुले घाव, तुम्हें इन सबका हिस्सा बना नहीं सकती, ये मेरी माज़ी की बातों की चुभन सिर्फ़ मेरी है, इनका दर्द फ़क़त मेरा है, तुम्हें इन सबमें शामिल नहीं कर सकती ऐ मेरे दोस्त, कुछ समझा करो तुम भी ये रुआँसी आँखें लेकर कैसे हँसा दूँ आज तुम्हें, ये भारी सा मन तुम्हारे सामने खोल तो दूँ, पर, ये मेरी माज़ी की बातों की टीस सिर्फ़ मेरी है, इन्हें महसूस करने की इजाज़त तुम्हें दे नहीं सकती #ज़ख़्म #माज़ी #दर्द #टीस #इजाज़त #yqbaba #yqdidi