सवाल-जवाब का वो सिलसिला, फिर दोहराया गया, उसे हर बार की तरह कटघरे में, फिर खड़ा कराया गया। समाज में एक नारी के चलने का सलीका, फिर उसे समझाया गया, थोड़ी बहुत जो आज़ादी है, वो भी नाम की है, हर बार एहसास दिलाया गया। सड़कों पर नारी के हकों के लिए लड़ने का ढ़ोंग कर, फिर नारा लगाया गया। वहाँ.....सब के सामने, नारी सशक्तिकरण के उद्देश्य को अहम बताया गया, फिर अपने ही शब्दों का अपमान करते हुए, घर पर उसे सताया, दबाया गया। ©Ruchika #Twowords #sadreality #Society #Injustice #male_domination Vasudha Uttam J P Lodhi. PoetRik manpreetkang Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Aaisha