किसी नागिन सी फुँफकार उठी क्रोधित सिंह सी वो दहाड़ उठी शोणित कि प्यास बुझाने को देखो राणा कि तलवार उठी सिर काट रही धड़ काट रही अरि को टुकड़ो में बाट रही राणा का क्रोध बुझाने को वो लहू बैरी का चाट रही ले दामिनी का वेग गिरे वो चट्टानों को भेद गिरे बढ़े कदम जब जब राणा के आगे बैरी का सीना छेद गिरे घहर घहर वो बरस रही है बैरी रक्त को तरस रही असि राणा की आराम ना ले अरि लहू का जब तक हो दरस नहीं.... inspired from works of Shri.Shyamnarayan Pandey #ranakitalwar #ranapratap #shyamnarayan pandey #yqdidi #yqquotes #h_Rquotes