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गुल-ए-मोहब्बत के लिए तरसी थी मेरी निगाहें अब ज़नाज़े

गुल-ए-मोहब्बत के लिए तरसी थी मेरी निगाहें
अब ज़नाज़े में मेरे तुम फूल लेकर आये हो something comes out without any effort....
गुल-ए-मोहब्बत के लिए तरसी थी मेरी निगाहें
अब ज़नाज़े में मेरे तुम फूल लेकर आये हो something comes out without any effort....

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