पैसा ,, नाम ,, काम मस्ती ,, कस्ती ,, आराम फिर क्यों बैचैन हू मैं बेवफा होती तो शायद कोई हवा गले लगा लेती जिससे भी चिपकता हू तो कहती है बहुत चिपचिपे हो तुम शायद तन्हाई में गल चुके हो तुम बहा लो खुद को बह रही है गंगा बवंडर आने वाला है तिनके सा भटकोगे मेरे जलते पतंगा ©Yash Verma #Baichain #uttrakhand #jnvians #Hindi #loveismystery #deadpoetssociety #deadsoul