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हँसते हँसते हम उँगली में एक सुई नहीं चुभा सकते हैं

हँसते हँसते हम उँगली में एक सुई नहीं चुभा सकते हैं, इस युवक ने हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूमा है। नरम तरीकों से अंग्रेजी हुकूमत की नींद नहीं उड़ रही थी, कारगर दबाव नहीं बन पा रहा था और जनता भी उतनी जागरूक नहीं हो रही थी कि अंग्रेजों को लगने लगे कि अब हिंदुस्तान को ज्यादा समय ग़ुलामी की बेड़ियों में बाँधे रखना मुश्किल होगा।  इस नवयुवक ने असेम्बली में बम धमाका कर भागने की कोशिश नहीं की, इससे भी ज्यादा अपनी फाँसी रुकवाने की कोशिश भी नहीं की। ये बलिदान हमारे लिए था,हमारी स्वतंत्रता के लिए था और हमें ये हर क्षण याद रखते हुए देश की प्रगति के लिए यथासंभव योगदान देना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। 
इंकलाब जिंदाबाद ! भगत सिंह अमर रहे ! भारत को वैचारिक क्रांति से जोड़ने वाले अमर शहीद भगतसिंह का आज जन्मदिवस है। 
धार्मिक उन्माद, असामनता और अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाले भगतसिंह ने भारत की आज़ादी के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। 
शत-शत नमन है उन्हें।
#शहीदभगतसिंह #collab 
   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
हँसते हँसते हम उँगली में एक सुई नहीं चुभा सकते हैं, इस युवक ने हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूमा है। नरम तरीकों से अंग्रेजी हुकूमत की नींद नहीं उड़ रही थी, कारगर दबाव नहीं बन पा रहा था और जनता भी उतनी जागरूक नहीं हो रही थी कि अंग्रेजों को लगने लगे कि अब हिंदुस्तान को ज्यादा समय ग़ुलामी की बेड़ियों में बाँधे रखना मुश्किल होगा।  इस नवयुवक ने असेम्बली में बम धमाका कर भागने की कोशिश नहीं की, इससे भी ज्यादा अपनी फाँसी रुकवाने की कोशिश भी नहीं की। ये बलिदान हमारे लिए था,हमारी स्वतंत्रता के लिए था और हमें ये हर क्षण याद रखते हुए देश की प्रगति के लिए यथासंभव योगदान देना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। 
इंकलाब जिंदाबाद ! भगत सिंह अमर रहे ! भारत को वैचारिक क्रांति से जोड़ने वाले अमर शहीद भगतसिंह का आज जन्मदिवस है। 
धार्मिक उन्माद, असामनता और अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाले भगतसिंह ने भारत की आज़ादी के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। 
शत-शत नमन है उन्हें।
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