~कबीर की सखियाँ~ जाति न पूछो साध की,पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का,पड़ा रहन दो म्यान।।1।। आवत गारी एक है,उलटत होइ अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए,वही एक की एक।।2।। माला तो कर में फिरै,मुख माँहि।मनुवाँ तो दहु दिसि फिरै,यह तौ सुमिरन नाहीं।3 कबीर घास ना नींदिए,जो पाऊँ तलि होइ। उड़ि पड़ै जब आँखि मै,खरी दुहेली होइ।।4।। जग मै बैरी कोई,जो मन शीतल होय।या आपा को डारि दे,दया करै सब कोय।5 #alone कबीर की साखियाँ