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ज़िन्दगी जग मगा रही है, खौफनाक अँगारे बुझ रहे है जै

ज़िन्दगी जग मगा रही है, खौफनाक अँगारे बुझ रहे है
जैसे चाँद निकल रहा है और अंधेरे बुझ रहे है

आज के दौर में दरियादिली नेक बुझ रहे है 
जैसेे दीपक जल रहे है और सवेरे बुझ रहे है

किसी ने पूछा आंखों के दरिये में क्या-क्या बुझ रहा है
आंखों ने राज खोला, तस्वीरे मिट रही है, जवाब बुझ रहे है

कोई अंदर तो झांके मेरे, क्या क्या बुझ रहा है
ख्वाईश जल रही है, ख्वाब बुझ रहे है नरम-ए-आग को बुझने मत देना
ज़िन्दगी जग मगा रही है, खौफनाक अँगारे बुझ रहे है
जैसे चाँद निकल रहा है और अंधेरे बुझ रहे है

आज के दौर में दरियादिली नेक बुझ रहे है 
जैसेे दीपक जल रहे है और सवेरे बुझ रहे है

किसी ने पूछा आंखों के दरिये में क्या-क्या बुझ रहा है
आंखों ने राज खोला, तस्वीरे मिट रही है, जवाब बुझ रहे है

कोई अंदर तो झांके मेरे, क्या क्या बुझ रहा है
ख्वाईश जल रही है, ख्वाब बुझ रहे है नरम-ए-आग को बुझने मत देना