रावण का दहन बड़ी खुशी से रावण दहन को निकले थे, बन कर राम हाथों में धनुष सुंदर दिखते थे, निशाना लगाया मैंने नाभि में रावण के, और जला दिया दस सिर वाले राक्षस को, पर ये क्या हुआ एक आग मुझे भी जला गया, उठा जो लपटों में चिंगारी भीड़ भी लहका गया, जो खुश थे रावण जला कर वो अब चीख रहे थे, समाज के राम भी जलते दिख रहे थे, ये कैसी आग है जो इसबार राम दहन कर रही है, क्या रावण की जीत इस बार सही है, राम यहां मर्यादित नहीं और सीता भी अब चरित्रहीन है, हर दर पर हर नगर पर बस रावण ही विलीन है, तो जब रावण दहन हुआ तो ये लपटें कैसी है, और राम का शरीर भी दहके ये पीड़ा कैसी है, रावण के अंदर तो बस एक स्त्री की लालसा है, पर यहां तो हर किसी के मन में परस्त्री की कामना है, इस दशहरा कलयुग के राम को पूरी तरह मिटा दो, और सीता से बोलो कि फिर से अग्निपरीक्षा दो, तब रावण फिर से किसी सीता को हरण नहीं करेगा, और फिर से कोई रावण दहन नहीं करेगा। रावण दहन #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi #yqbhaskar #yqdidichallenge