कमलेश पेड़, पौधे तूफानों का दौर बड़ता जा रहा है, बर्बादियों का ठौर इस तबाही का हर कोई भागी है जहर से सना, है हर एक कौर । जश्न, उल्लास ने आँखें भी ढक दी हम समझते है, यह करते कोई और है ©Kamlesh Kandpal #Jshn