"खुशियों के रंग" होली के हमजोली प्रतियोगिता के लिए हमारी टीम का पहला टॉपिक हैं। खुशियों के रंग सुबह के सात बज चुके थे,आज वीरपुर गांव में हर गली मुहल्ले में होली का त्यौहार बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा था,"बुरा न मानो होली है" की आवाजें बड़े जोर-जोर से हर तरफ गूंज रही थी,रंगों का ये त्यौहार हर किसी के जीवन में रंग भर जाता है,खासकर "खुशियों के रंग!" कोई पिचकारी में पानी भर भर के एक दूसरे पर उड़ा रहा था तो कोई घरों से लोगों को बाहर खींच कर रंग खेलने के लिए ले जा रहा था;बच्चों से बूढ़ों तक सब इस त्यौहार में शामिल थे। जहाँ एक तरफ सब होली का जश्न मना रहे थे वहाँ दूसरी तरफ नैना ख़ुद को घर एक कमरे में बंद कर बैठी थी।