कौन कहता है के प्यार हो रहा है ज़रा आंखें तो खोलो शिकार हो रहा है रहा है अनाज से गिरी है जिस्मों की कीमत दलढे से हुसैन का व्यापार हो रहा है न जाने किस ज़हर का असर हुआ है फिर भी यह सब स्वीकार हो रहा है #बलजीत चौहान ©Baljeet Chauhan #किसज़हरकाअसर