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वो मीठी सी, मिश्री सी थी मै कड़वाहट का, भोगी था व

वो मीठी सी, मिश्री सी थी 
मै कड़वाहट का, भोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो बक बक बक, बतियाती थी
मै मौन विधा का, रोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो सृष्टि की संचालक थी 
मै मूक बधिर सहयोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो अनायास करती सब कुछ
मै करता जो उपयोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

उसका मुझसे कुछ मिल नहीं
मिलना तो बस संजोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था #sati #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindipoetry #yqhindi #hindiwriters 

वो मीठी सी, मिश्री सी थी 
मै कड़वाहट का, भोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो बक बक बक, बतियाती थी
वो मीठी सी, मिश्री सी थी 
मै कड़वाहट का, भोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो बक बक बक, बतियाती थी
मै मौन विधा का, रोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो सृष्टि की संचालक थी 
मै मूक बधिर सहयोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो अनायास करती सब कुछ
मै करता जो उपयोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

उसका मुझसे कुछ मिल नहीं
मिलना तो बस संजोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था #sati #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindipoetry #yqhindi #hindiwriters 

वो मीठी सी, मिश्री सी थी 
मै कड़वाहट का, भोगी था
वो सांसारिक, अभिमानी थी 
मै भिक्षु था, मै जोगी था

वो बक बक बक, बतियाती थी
vatsa1506109692311

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