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न कुछ समझना, न समझाना चाहते हैं, न ये दुनिया न ज़म

न कुछ समझना, न समझाना चाहते हैं,
न ये दुनिया न ज़माना चाहते हैं।

देना चाहती हो तो थोड़ी कुर्बत में जगह दे दो,
वरना फिर न कहीं आशियाना चाहते हैं।

अदावत है जहाँ से, नफरत अपने आप से भी,
एक तुम ही मिली जिसे खुदा बनाना चाहते हैं।

फिर मिलेंगे कहाँ जो फुर्कत में गुजारती हो,
जो लम्हा तेरी सोहबत में बिताना चाहते हैं।

जब तक तुम रहोगी पनाहों में उतनी ही ज़िन्दगी चाहिए,
तुम्हारे बाद तो मौत की नींद सो जाना चाहते हैं।

©Aarzoo smriti
  #n kuchh samjhna n samjhana chahte hain...

n kuchh samjhna n samjhana chahte hain... #Shayari

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