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महादेव की गौरी है वो। शंकर की पार्वती है वो। धरे

महादेव की गौरी है वो।
शंकर की पार्वती है वो।

धरे जब रूप विकराल,
रौद्र रूप काली है वो।

बात हो सुहाग के मान की,
दग्ध हुई अग्नि में सती है वो।

आधे अंग में है समाहित,
शिव की अर्द्धांगिनी है वो।

गाऊँ मैं 'गीत' जिसके सदा,
आदिशक्ति माँ भवानी है वो।

©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#ग़ज़ल_सृजन
महादेव की गौरी है वो।
शंकर की पार्वती है वो।

धरे जब रूप विकराल,
रौद्र रूप काली है वो।

बात हो सुहाग के मान की,
दग्ध हुई अग्नि में सती है वो।

आधे अंग में है समाहित,
शिव की अर्द्धांगिनी है वो।

गाऊँ मैं 'गीत' जिसके सदा,
आदिशक्ति माँ भवानी है वो।

©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#ग़ज़ल_सृजन