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गूंज रही थी चार दिवारी, तब इंक़लाब के नारों से, सह

गूंज रही थी चार दिवारी, तब इंक़लाब के नारों से, सहम उठा जब पूरा भारत, डायर के अत्याचारों से।

क्या बूढ़े, क्या बच्चे भोले, क्या महिलाएं दीवानी थी, जब जलियवाला में लिखी, खूनी कलम ने कहानी थी।”

 #13_Aprail 

जलियांवाला बाग हत्याकांड

©Khushi Rajput
  #13april