(अवधी-व्यंग) ई रुपया-पईसा सब मोह-माया है, देखा भाई जेहमा हर केहु हेराया है। न तो दाल गले न ही रोटी सेकाय, जब ले दूई कऊड़ी न छानी में आय। पास पड़ोस हर केहु सुनावे, बाबू अऊर बहिनी केहु न भावे। अजार-बजार सब बिन काम के लागे, भीड़-भाड़ से कोसो दूर मन भागे। राम जाने पड़ी जाय जिऊ पर बहुतै गाढ़ बवाल, जी की मरी कछु समझ न आवे इहो बड़का जंजाल। -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #अवधी #अवधी_कविता #अवधी_व्यंग #mehngaai #महंगाई #मंजुलाहृदय #Rekhasharma #Jan 30th, 2021 @10:25 Pm