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वो काश होती तो कांटो को चीरकर कली निकलती उसकी आस भ

वो काश होती तो
कांटो को चीरकर कली निकलती
उसकी आस भी होती तो
सूखे लबों पे बरसात होती
उसकी अब उम्मीद भी नहीं 
काश इस गम कि भी तारीख़ होती #tareekh
वो काश होती तो
कांटो को चीरकर कली निकलती
उसकी आस भी होती तो
सूखे लबों पे बरसात होती
उसकी अब उम्मीद भी नहीं 
काश इस गम कि भी तारीख़ होती #tareekh