तेरे जाने के बाद, क्या ग़लत क्या सई। तेरी लाख गलतियों से मेरा गलत सई।। क्यूं खुरच रही हो, अतीत के पन्नों को। भूल जाओ, जो बीत गई सो बात गई।। मैं अब तुम्हारे क़िस्से का किरदार नहीं। जाओ तुम भी लिखो कोई कहानी नई।। होंगी मुझमें भी लाख बुराइयां, पर तुम। इतनी अच्छी थी, तो छोड़ के क्यूं गई।। तेरे अस्तित्व से थी, दो जून की रोटियां। तुम चली गई अब क्या अप्रैल क्या मई।। ©Shivank Shyamal तेरे जाने के बाद, क्या गलत क्या सई। तेरी लाख गलतियों से मेरा गलत सई।। क्यूं खुरच रही हो, अतीत के पन्नो को। भूल जाओ, जो बीत गई सो बात गई।। मैं अब तुम्हारे किस्से का किरदार नहीं। जाओ तुम भी लिखो कोई कहानी नई।।