यहाँ जवाब भी बिकते हैं, सवाल भी बिकते हैं कारवां-ए-हिंद में, नकाब भी बिकते हैं न करो भरोसा, इस फरेबी संसार का ये वो गुल्ज़ार है, जहाँ काँटे भी बिकते हैं,और गुलाब भी बिकते हैं - रविन्द्र गंगवार ՏʅԺԺнΛʀтн