चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह-ऐ-लिहाज़ हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है ~हसरत मोहानी चुपके चुपके रात दिन,