Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रुख़ हवाओं का बदला बदला सा है हा वो हमसफ़र था हा वो हमसफ़र था जिससे हमवाई ही ना थी, खुश्क खराश सी टीस उठी कह ना पाई कभी कमदर्द सा रिसता शीर बदहवासी ना थी कुबत ए रूह की बेचैनी और ब्धुमानी ही थी हलक से गटके वो मसले हुए ज़ख्मों से नासो में दौड़ती वो ख़ून की धार ही थी तो तह तक जमे हर हर्फ में एक आह ही थी कमजररं वो एक ख़्वाब जो आंखों में नमी छलती ही थी अब हर सांस में बस फर्ज़ की कहानी ही थी #relationship #yqbaba #yqdidi #lifequotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रुख़ हवाओं का बदला बदला सा है हा वो हमसफ़र था हा वो हमसफ़र था जिससे हमवाई ही ना थी, खुश्क खराश सी टीस उठी कह ना पाई कभी कमदर्द सा रिसता शीर बदहवासी ना थी