उनसे दूर कोरेना से भयभीत हुआ जन-मानस चारों ओर क्या होगा कल पांव पखारे रोय।। दिखे ना रास्ता कोई सुध-बुध है खोय कैसा दिन आया रे अपने पराए होय।। हाथ पसारे ईश्वर से विनती किए हर कोय हे ईश्वर दया करो शरण में तेरी होय।। ना बनो निष्ठुर इतना हम हैं तेरे बालक गलती के हम पुतले हैं हमारे तु है पालक।। ©sandeep कोरेना से भयभीत हुआ जन-मानस चारों ओर क्या होगा कल पांव पखारे रोय।। दिखे ना रास्ता कोई सुध-बुध है खोय कैसा दिन आया रे