वो ज़िदंगी जिदंगी ही क्या जो ख़ामोशी से चुपचाप चली दिल में बहुत शोर उठा कतरा-कतरा जब रात ढ़ली ये मत पूछो वक्त कैसे गुज़रता है जैसे कोई परिंदा उड़ने के लिए तरसता है ना जाने कब तक बिठाये रखेगी मँज़िलें मुझसे होकर नाराज चली... © abhishek trehan Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 #yqbaba #yqdidi #zindagi #naraz #manawoawaratha #yourquoteandmine Collaborating with Rest Zone