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radhe radhe ji ©akash shrivastav radhe radhe पार

radhe radhe ji

©akash shrivastav radhe radhe 
पार्थ इंसान अपने आप को धर्म में बांट देता है और फिर वह हिंदू ,मुसलमान , सिख, ईसाई कुछ भी हो सकता है
जब मैं इंसान को जन्म देता हूं तब उसका बस एक ही धर्म होता है इंसानियत और उसका मात्र एक ही कर्म होता है मासूमियत जिस कारण से वह हर किसी के दिल को जीत लेता है ।

जब वही इंसान धीरे-धीरे बाल्यकाल से किशोरावस्था में जाता है तब वह यह भूल जाता है कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए किस प्रकार का कष्ट सहन किया है उन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने जीवन अपने जीवन की खुशियों का त्याग किया है

की किस प्रकार उसकी माता ने अपने बेटे को राजा बनाने के लिए खुद को कभी रानी नही बना पाई
radhe radhe ji

©akash shrivastav radhe radhe 
पार्थ इंसान अपने आप को धर्म में बांट देता है और फिर वह हिंदू ,मुसलमान , सिख, ईसाई कुछ भी हो सकता है
जब मैं इंसान को जन्म देता हूं तब उसका बस एक ही धर्म होता है इंसानियत और उसका मात्र एक ही कर्म होता है मासूमियत जिस कारण से वह हर किसी के दिल को जीत लेता है ।

जब वही इंसान धीरे-धीरे बाल्यकाल से किशोरावस्था में जाता है तब वह यह भूल जाता है कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए किस प्रकार का कष्ट सहन किया है उन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने जीवन अपने जीवन की खुशियों का त्याग किया है

की किस प्रकार उसकी माता ने अपने बेटे को राजा बनाने के लिए खुद को कभी रानी नही बना पाई

radhe radhe पार्थ इंसान अपने आप को धर्म में बांट देता है और फिर वह हिंदू ,मुसलमान , सिख, ईसाई कुछ भी हो सकता है जब मैं इंसान को जन्म देता हूं तब उसका बस एक ही धर्म होता है इंसानियत और उसका मात्र एक ही कर्म होता है मासूमियत जिस कारण से वह हर किसी के दिल को जीत लेता है । जब वही इंसान धीरे-धीरे बाल्यकाल से किशोरावस्था में जाता है तब वह यह भूल जाता है कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए किस प्रकार का कष्ट सहन किया है उन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने जीवन अपने जीवन की खुशियों का त्याग किया है की किस प्रकार उसकी माता ने अपने बेटे को राजा बनाने के लिए खुद को कभी रानी नही बना पाई #विचार