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गद्दा तकिया सब मखमल का पर नींद का आना बाकी है सा

गद्दा तकिया सब मखमल का 
पर नींद का आना बाकी है 
साथ थे जितने छूट चुके है
पर जान का जाना बाकी है 

वो दोस्त जो हंसकर के मिलते थे 
अब मिलने से कतराते हैं
जो कहते थे आंखो का तारा 
वो भी आंख चुराते है 

जवानी में सालो एक रात सा गुजर जाता था 
अब एक रात सालो सा गुजरता है 
अब सामने है मेरे ये किनारा 
बस मेरा उतर के जाना बाकी है 
बस नींद का आना बाकी है . बुढ़ापा
गद्दा तकिया सब मखमल का 
पर नींद का आना बाकी है 
साथ थे जितने छूट चुके है
पर जान का जाना बाकी है 

वो दोस्त जो हंसकर के मिलते थे 
अब मिलने से कतराते हैं
जो कहते थे आंखो का तारा 
वो भी आंख चुराते है 

जवानी में सालो एक रात सा गुजर जाता था 
अब एक रात सालो सा गुजरता है 
अब सामने है मेरे ये किनारा 
बस मेरा उतर के जाना बाकी है 
बस नींद का आना बाकी है . बुढ़ापा
roshanjha7880

Roshan-nama

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बुढ़ापा