Read it till last . there is a turn in poem. आंखें उसकी इतनी गहरी, जैसे गहरी कोई खाई गिरने वाला था बस उसमे जैसे तैसे जान बचाई जान बचाई मैंने पाया गिरे पड़े थे उसमें कितने मैंने बोला माफ करो मैं हूं मानुस साधारण सा इस चक्कर में पड़ा तो बेटे पड़ जाएंगे लेने देने आव ना देखा ताव सीधे नज़रे अधरों पर आईं सोचा मन ही मन मैंने अब क्या करना रामगुसाई अब क्या करना रामगुसाई लड़की है या बला कोई है अधर हैं जैसे मैखाना ये, आंखें जैसे ये मोती हैं पहला थोड़ा हिचका फिर बोला देवी नाम बताओ वो कर्कश वाणी में बोली पहले दस का नोट बढ़ाओ #कविता #onlinepoetry #हास्य #noori #doalfaaz #शायारिनामा #कविताएं