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बाकी सब का परिचय होगा, उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना

बाकी सब का परिचय होगा,
उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना।

ईट ढोएगा, रेत ढोएगा
जरूरत पर हमारा खेत बोयेगा.
क्या करे?, घर से दूर हैं ना।
उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना।

 धूप में भी, छांव में भी
 कांटा चुभ जाए चाहे पांव में भी
 आखिर पेट से,वह भी मजबूर है ना.

 सड़क बनाएंगे, घर बनाएंगे
 भले ही रुखा सूखा खाएंगे
 किसी को क्या, गर वह पसीने से चूर हैं ना
 उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना।

©Kamlesh Kandpal
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