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ख़त और तुम, चोली दामन का साथ है। तुम हो तो दिन है,

ख़त और तुम, चोली दामन का साथ है।
तुम हो तो दिन है, वरना रात ही रात है।
ख़तो-किताबत की, अब दुनियाँ नहीं रही,
मोबाइल का ज़माना है, बस बात ही बात है।
न क़ासिद की जुस्तजू, न दीदार की तमन्ना,
वीडियो-कालिंग से होती, अब मुलाक़ात है।
 नमस्कार लेखकों।😊

हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । 

इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍

समय सीमा : 18 अक्टूबर, दोपहर 3 बजे तक।
ख़त और तुम, चोली दामन का साथ है।
तुम हो तो दिन है, वरना रात ही रात है।
ख़तो-किताबत की, अब दुनियाँ नहीं रही,
मोबाइल का ज़माना है, बस बात ही बात है।
न क़ासिद की जुस्तजू, न दीदार की तमन्ना,
वीडियो-कालिंग से होती, अब मुलाक़ात है।
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