नज़राना इश्क़ का क्या दें हम तुम्हें जब एक दूजे को हम कबूल हैं ज़िन्दगी में एक दूजे को शामिल कर लेते हैं नज़राना इश्क़ का हम तुम्हें देते हैं सारे जहान की खुशियाँ तेरे कदमों में डाल देते हैं नज़राना इश्क़ का हम तुम्हें देते हैं चलो अधूरे इश्क़ को हम मुकम्मल करते हैं नज़राना कबूल तो कीजिए मुझसे सनम आज़ अपने बागाें से लाई हूंँ एक गुलाब का फूल उड़ती फिरूंँ मैं दूर गगन लेकर तेरा नज़राना इश्क़ का दिल में उमंग है जगी लेकर चल पड़ी संजो कर अपना ख़ूबसूरत रिश्ता ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1004 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।