मन करता है, अश्कों की बारिशों पर पाबंदियां लगा दूँ जी करता है, दर्द पर सभी के मैं हाथ से मरहम लगा दूँ हर नज़र सुकून देने वाली हो, हवस से बहुत दूर हो सब मन करता है,बुरी इन नजरों को जिस्म से जुदा मैं कर दूँ झुकाना नहीं है किसी को,सब तरक्की के शिखर पर हो मन करता है,सब सताये लोगों को अपने गले से लगा लूँ नफ़रत का सिलसिला ख़तम हो, अब अलगाव नही रहें मन करता है, सभी के मन मे प्रेम सुमन मैं अब खिला दूँ नारी उपभोग की वस्तु ना रहें, तुलसी और सीता सी हो मन करता है,सब के मन से भोग विलास को मैं मिटा दूँ ♥️ Challenge-822 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।