"किताबें" सेल्फ में पड़ी पड़ी एक दूसरे से बतियाती किताबें..... छुए प्यार से कोई उन्हें और आकर पढ़े यही सोचती किताबे ... अनन्त लॉक डाउन को झेलती बुक सेल्फ में पड़ी किताबें... लंबे अर्से से क़वारन्टीन में पड़ी अपना लॉक डाउन समाप्त होने का इंतजार करती किताबें .... कब हम पाठकों के हाथों में चहकती....महकती....गुनगुनाती खुली साँसे लेंगी ये सोचती किताबें....😊 काश लौट आए वो किताबों वाले दिन.... माँग माँग कर पढ़ने वाले दिन किराए पर ले कर पढ़ने वाले दिन.... ग्रीष्म की अलसाई दोपहरी में आम की छाव ओर "चाचा चौधरी" वाले दिन.... "अमर कहानियों" के दिन ..... "मोटू पतलू" के दिन ठंडी रातों में नीम उजाले "कादम्बनी" और "सरस सलिल वाले दिन.... छुप छुप पढ़ना "मैली चादर और "गुनाहों के देवता" वाले दिन अमृता प्रीतम के प्यार भरे खत वाले दिन.... काश फिर लौट आएं वो किताबों वाले दिन😊 #पुस्तकदिवस