ज़माने के चलन ही सीख यह हमको सिखाते हैं किसी को याद रखते हैं किसी को भूल जाते हैं छलकते हैं किसी की आँख से हर वक़्त पैमाने मुहब्बत से हमें हर बार वो जी भर पिलाते हैं न जाने कौन सा वो गुल खिलाने पर हैं आमादा अदाओं से हमें अपनी जो रह – रह कर लुभाते हैं कभी वो वक़्त पर अपना निभाते ही नहीं वादा या मेरे सब्र को ऐसे हमेशा आज़माते हैं इसी उलझन में बढ़ जाती है दिल की और बेताबी हमेशा ना-नुकुर के साथ वो वादा निभाते हैं यक़ीनन देखना इक रोज़ हम मंज़िल नशीं होंगे किसी के प्यार के जुगनू हमें रस्ता दिखाते हैं नवाज़ा प्यार से हमको किसी ने इस कदर साग़र उसी की ही बदौलत आज तक हम मुस्कुराते हैं ©Durga Gautam #sadak