""'जाती हुई खुशियां, आती हुई तन्हाइया. बिछड़ता हुवा ये सर्द मौसम, मौसम ले रही अंगड़ाइयां, घटाओ में ढूंढ सा कोहरा, डराती हुई ये ख़ामोशीया, नाराज़गी ज़िन्दगी की, कोई ख़बर नही खुशी की, कभी कभी आ जाती थी चीठी मुस्कुराहट की, मग़र अब कोई खबर नही हँसते डाकिये की, हँसते डाकिये की..... ©Kumar Rohit मेरी डायरी#शायरी