तुम तो ऐसे गए वैसे कोई जाता नहीं जैसे तुमने सताया वैसे कोई सताता नहीं! सुनो ख़फ़ा होने का हक़ सिर्फ़ तुम्हारा नहीं मैं भी हूँ ख़फ़ा कबसे मुझे कोई मनाता नहीं! इंतज़ार में काटी हैं रातें मगर तू नज़र आता नहीं अब लौट भी आओ ऐसे इंतज़ार कोई कराता नहीं! हमने जो ली थी शपथ वो आज तक निभाई है हर कोई इतनी शिद्दत से मोहब्बत निभाता नहीं! करते रहे हम शिकवे-गिले देता कोई दिलासा नहीं जानती हूँ अपने प्रेम पर कोई तोहमत लगाता नहीं! काश कि तुम होते यहाँ तो बताती मैं हाल अपना चाँद भी अब दिल जलाता है ऐसे कोई जलाता नहीं! छोड़ा नहीं तेरी राह तकना मेरा चाँद मगर आता नहीं कसमें खाई थीं तुमने वो झूठी थीं ये कोई बताता नहीं! तुम तो ऐसे गए वैसे कोई जाता नहीं जैसे तुमने सताया वैसे कोई सताता नहीं! सुनो ख़फ़ा होने का हक़ सिर्फ़ तुम्हारा नहीं मैं भी हूँ ख़फ़ा कबसे मुझे कोई मनाता नहीं! इंतज़ार में काटी हैं रातें मगर तू नज़र आता नहीं अब लौट भी आओ ऐसे इंतज़ार कोई कराता नहीं!