आज़ भी याद है तेरी आँखो का सागर, उस सागर में तैरता मेरा मन, आज़ भी याद है वो सूखा, जिसने तेरी आँखों के सागर को मेरे लिए सुखा दिया।। #अंकित सारस्वत# #सागर