जीत का गीत गीत घर बैठे बैठे अब जीत का गुनगुनाना है मंजिल कहाँ दूर है पास ही तो जाना है लगाना पता जीत का उम्मीद को साथ लेकर हर इक को मंजिल हासिल करना सिखाना है कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद जीत का गीत....कीर्तिप्रद